Finding Comfort in Memories: Miss You Maa
- Urban Shiv Yogi
- Jan 3, 2024
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Updated: Feb 16

वक़्त कुछ ऐसे गुजरा माँ जैसे
मुलाक़ात भी न हो पायी तुमसे!
दिन बीते और बीती है राते
मुझे बहुत याद आती है तेरी बातें।।
माँ जब भी मैं घर आता था
तू दरवाज़े पे ही मील जाती थी।
उसके पहले मेरी राहे देखे
तू मन्द मन्द मुसकाती थीं।
तेरे चेहरे पे वो रौनक़ देख
मैं फूला नहीं समाता था।
जब चरणों में शीश झुकाता
मैं मंज़िल वहीं पा जाता था।।
अब जो तुझको खो के लौटा हूँ तो
विश्वास नहीं कर पाया हु।
तेरा वो उम्मीद ना पूरा कर पाया
ना ही तुझसे मैं मील पाया।।
तू जैसे राहे तकती थी मेरा
अब वैसे कौन पुकारेगा।
अब घर आ भी जाऊँ तो मैं
बलाइयाँ कौन उतारेगा!!
इतने दिन है बीत गए पर
बात न तुमसे हो पायी है।
फ़ोन पे तेरा नंबर देखु
तो आँख मेरी भर आई है।।
ट्रीन ट्रीन करता वो नंबर
अब कोई नहीं उठाता है।
और कुछ समय से तो वो
"Not Reachable" बतलाता है।।
माँ क्यों तू ऐसे छोड़ गयी?
मन मेरा क्यों तोड़ गयी??
बेचैन सा मै हो जाता हु,
पर समझ न कुछ भी पाता हूँ।।



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